Sunday, April 11, 2021

मुख्यमंत्री की नाक के नीचे अधिकारियों का फर्जीवाड़ा

 बरसठी थानाध्यक्ष ने गलत रिपोर्ट दाखिल कर मुख्यमंत्री को किया गुमराह


रविन्द्र कुमार द्विवेदी की विशेष रिपोर्ट





     बरसठी, जौनपुर(उप्र)। भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाली उत्तर प्रदेश सरकार की किरकिरी उसके ही अफसर लगातार करते आ रहे हैं।  मुख्यमंत्री की नाक के नीचे कुछ भ्रष्ट अधिकारी ऐसा फर्जीवाड़ा कर रहे हैं , जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। ज्ञात हो कि ग्राम-पोस्ट परियत की वरिष्ठ  नागरिक राजकुमारी देवी पत्नी डॉ रमाकांत गुप्त ने (उम्र 73 के पार, रिटायर्ड प्रधानाध्यापिका, जूनियर हाई स्कूल) मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर एक शिकायत दर्ज कराई थी कि गांव के कुछ दबंग भू-माफिया उनके अपने ही चारदिवारी में गेट व कुछ गृह-निर्माण कार्य नहीं करने दे रहे हैं जिसके लिए वे सीविल कोर्ट का आदेश भी लाई हैं फिर भी काम शुरू होने पर दबंग हिंसक रूख अपना लेते हैं जिसके कारण अपना गृह निर्माण कार्य करवाने में असफल हो जाती हैं।  इसके लिए परियत निवासी राजकुमारी जी पुलिस वालों व बहुत उपर सीएम से लेकर पीएम तक गुहार लगाईं मगर दबंगों के हर कुत्सित कुकृत्य पर बरसठी पुलिस के आला अधिकारी पर्दा डालते रहे व उन्हें पूरी तरह संरक्षण देते रहे।

जबकि  जौनपुर सीविल कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि वादिनी श्रीमती राजकुमारी देवी अराजी 1156/0.065 की मालिक हैं व उनका नाम राजस्व व अभिलेख में दर्ज हैं, प्रतिवादीगण हस्तक्षेप कर उसे बेदखल करना चाहते हैं अत: उन्हें मना किया जाये व वादिनी राजकुमारी देवी के शांतिपूर्ण व कब्जा व दखल में विधि विरूद्ध तरीके से हस्तक्षेप न करें। वादिनी आदेश 39 नियम 3 सीपीसी का पालन अंदर 24 घंटे करें। इसके बावजूद भी बरसठी के दु:साहसी थानाध्यक्ष सीविल कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा रहे हैं व उसकी पूरी तरह से अनदेखी कर गलत रिपोर्ट लगाकर सीएम के जनसुनवाई पोर्टल पर अभियुक्तों को पूरी तरह सहायता कर रही है व मुख्यमंत्री व उनके आला अधिकारियों को भी पूरी तरह से दिग्भ्रमित कर रहे हैं।

    सनद रहे कि राजकुमारी देवी एक वरिष्ठ नागरिक हैं और जब उन्होंने मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई तब बरसठी थानाध्यक्ष का ये कर्तव्य था कि जाकर एक बार पूछे कि कौन दबंग हैं जो आपको गृह निर्माण कार्य नहीं करने दे रहा है मगर दबंगों के साथ सांठगाठ कर थानाध्यक्ष पूरे मामले पर ही लीपापोती कर अभियुक्तों के गुनाहों पर पूरी तरह पर्दा डाल दिया है व उनके पूरी तरह से संरक्षणकर्ता बन गए हैं।

जानिये कैसे बरसठी थानाध्यक्ष व उसके अन्य कर्मचारी भू-माफियाओं से सांठगाठ कर पूरे मामले को भटकाकर सीएम कार्यालय को धोखा दे रहे हैं

     ज्ञात हो कि राजकुमारी देवी पत्नी डॉ रमाकांत गुप्त ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर 8-3-2021  प्रार्थना पत्र दिया था जिसका पंजीकरण क्रमांक 40019421012057 था, उपरोक्त प्रार्थना पत्र पर बरसठी थानाध्यक्ष  ने पूरी तरह मामले को भटकाते हुए कोई कार्यवाही नहीं कि और उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री के आफिस के आंखों में धूल झोंकते हुए किसी दूसरे गॉंव की राजकुमारी नाम की महिला का रिपोर्ट लगा दिया उस रिपोर्ट में जांचकर्ता अधिकारी एसएसआई सदानंद राय हैं व उपरोक्त रिपोर्ट पिछले साल 2020 का है जिसके कारण पूरा मुख्यमंत्री कार्यालय पूरी तरह गुमराह हो गया और बरसठी का थानाध्क्ष मुख्यमंत्री कार्यालय को धोखा देने में पूरी तरह सफल हो गया।

     बरसठी थानाध्यक्ष श्यामदास वर्मा (Shyam Das Verma) की ऐसी हरकत से ग्राम परियत की राजकुमारी देवी आश्चर्यचकित हो गईं ऐसे में एक बार फिर से  राजकुमारी देवी  ने दिनांक: 23: 03: 2021 जनसुनवाई पोर्टल पर पुन: मुख्यमंत्री को विनम्रता पूर्वक लिखकर बताया  जिसका पंजीकरण क्रमांक : 40019421015210 है कि महोदय बरसठी पुलिस ने जो रिपोर्ट लगाई है वो हमारी रिपोर्ट नहीं है फिर भी बरसठी थाना के सर पर जूं तक नहीं रेंगा और माफियाओं से सांठगांठ वाले एसओ ने  पुन: वही पुरानी रिपोर्ट दोबारा लगाकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, उनके कार्यालय व सचिव आदि को पुन: बुरी तरह से दिग्भ्रमित कर दिया। उपरोक्त पत्र में राजकुमारी देवी पत्नी डॉ रमाकांत गुप्ता ने लिखा कि श्रीमान जी वो रिपोर्ट हमारे शिकायत से पूरी तर अलग है, मात्र मेरा नाम मिलता है ।


ग्राम परियत, जिला: जौनपुर उप्र की राजकुमारी देवी का पहचान पत्र                              :                               


                                                                            :             बरसठी थानाध्यक्ष की फ्राड रिपोर्ट

















                  

         राजकुमारी देवी  के बारे में  उनका नाम राजकुमारी है  और पुलिस की रिपोर्ट में भी नाम राजकुमारी है किंतु शिकायतकर्ता राजकुमारी देवी के पति का नाम रमाकांत गुप्त है जबकि बरसठी पुलिस रिपोर्ट में पति का नाम: स्वर्गीय बाबुल नाथ गौतम है और राजकुमारी देवी का ग्राम परियत है तो बरसठी पुलिस की रिपोर्ट में ग्राम: पठखौली आलम गंज है जबकि राजकुमारी जी का प्रार्थना पत्र दिनांक 8-3-2021 को दिया जिसका पंजीकरण क्रमांक 40019421012057 है तो वहीं बरसठी पुलिस रिपोर्ट में पंजीकरण क्रमांक : -------------5116 है  वहीं राजकुमारी देवी पत्नी डॉ रमाकांत की पहली शिकायत दिनांक : 8-3-2021 को किया व दूसरी शिकायत दिनांक: 23: 03: 2021 को किया। बरसठी पुलिस रिपोर्ट की निस्तारण तिथि : 14/10/2020 है, जो कि पूरी तरह बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा है।

          उपरोक्त विवरणों व प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि बरसठी पुलिस के अधिकारी जानबूझकर परियत निवासी राजकुमारी जी के प्रार्थनापत्र के बारे में मुख्यमंत्री, उनके कार्यालय व उनके सचिव आदि को दबंग भू-माफियाओं से बुरी तरह से सांठगाठ कर पूरी तरह  गुमराह किया है क्योंकि गलती एक बार हो सकती है किंतु दोबारा पुन: वहीं रिपोर्ट लगाना पूरी तरह से एक अपराध हो जाता है जो यह सिद्ध करता है कि पुलिस उपरोक्त अभियुक्तों से पूरी तरह मिलकर गंभीर अपराध कर रही है जो कि कानूनी भाषा में पूरी तरह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से की गई चार सौ बीसी है (420) है।

इस उपरोक्त मामले पर जौनपुर सीविल कोर्ट के अधिवक्ता जगदीश त्रिपाठी का कहना है कि ये सरासर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ विश्वासघात है और एक तरह का अपराध है जिसे कानून की भाषा में चार सौ बीस कहते हैं, नि:संदेह बरसठी थाना का एसओ दंडित किये जाने वाला अपराध किया है।

          जबकि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अवधेश कुमार सिंह का उपरोक्त थानाध्यक्ष के चार सौ बीसी वाले मामले पर कहना है कि अविलंब ऐसे मामले की जांच किसी रिटायर्ड जज या किसी इंटेलिजेंस एजेंसी से करवाई जानी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि बरसठी थानाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री के साथ ऐसा फ्राड क्यों किया और इस तरह के फ्राड करने के लिए विपक्षी से कितने रूपये खाए।

          वहीं हिंदू महासभा के अध्यक्ष पंडित बाबा नंद किशोर का कहना है कि ऐसे थानाध्यक्ष जांच को मूल विषय वस्तु से भटका देना चाहते हैं। बरसठी थानाध्यक्ष का यह कुकृत्य अक्षम्य है। पीड़ित राजकुमारी देवी व उनके पति जिनकी उम्र करीब चौहत्तर-पचहत्तर है, ऐसे नागरिकों के साथ इस तरह का बर्ताव लज्जाजनक है क्योंकि बरसठी थानाध्यक्ष श्याम दास वर्मा राजकुमारी देवी व उनके पति को मानसिक रूप से उत्पीड़ित कर रहा है, इस तहर के नीच कार्य करने वाले अधिकारी की वर्दी, बेल्ट और रिवाल्वर सरकार को छीन लेनी चाहिए। हिंदू महासभा अध्यक्ष ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश ब्रिटेन जैसे देश की तरह क्षेत्रफल वाला है और ऐसे बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ फ्राड करना बहुत बड़ा मामला बनता है। अगर बरसठी थानाध्यक्ष के विरूद्ध अविलंब कार्यवाही नहीं हुई तो हम बहुत बड़ा आंदोलन दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश में चलाएंगे जिसमें लखनऊ व दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस के साथ-साथ धरना-प्रदर्शन भी किया जाएगा।


  : सदाशिव तिवारी, उप्र सचिव हिन्दू एकता आंदोलन पार्टी

और, हिंदू एकता आंदोलन पार्टी के उत्तर प्रदेश सचिव सदाशिव तिवारी का उपरोक्त भ्रष्ट बरसठी थानाध्यक्ष के बारे में कहना है कि जब से ये थानाध्यक्ष आया है क्षेत्र की जनता इससे बहुत पीड़ित है, हम चाहते हैं कि अतिशीघ्र इस एसओ के विरूद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही किया जाए वर्ना हम इस थानाध्यक्ष को हटाने के लिए प्रदेश व्यापी आंदोलन चलाने के लिए बाध्य हो जाएंगे।

     भारत वार्ता के सूत्रों से मिली समाचार के अनुसार इस दुष्ट व भ्रष्ट 420 थानाध्यक्ष से मुख्यमंत्री योगी जी के समर्थकों में भारी नाराजगी है क्योंकि वे इसे मुख्यमंत्री के प्रति किया हुआ बहुत बड़ा दु:साहसिक अपराध मानते हैं जिसके लिए अत्यंत कठोर से कठोर सजा भी कम हैं।

     वहीं, दिल्ली के कई एनजीओ उपरोक्त एसओ के कुकृत्य से दु:खी हैं व समय रहते उपरोक्त एसओ पर कार्यवाही नहीं हुई तो वो भी इसे हटाने के लिए आंदोलन तक छेड़ने को तैयार हैं।


Friday, January 15, 2021

रिश्वतखोर, भ्रष्ट लेखपाल को बर्खास्त करने हेतु प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति व मुख्यमंत्री से शिकायत

 


उप्र, मडि़याहूं। तहसील मडि़याहू, जिला जौनपुर में काम करने वाला रिश्वतखोर, भ्रष्ट लेखपाल रामशिरोमणि  (RamSiromani) को बर्खास्त करने हेतु प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति व मुख्यमंत्री से शिकायत किया गया है। ज्ञात हो कि गत सप्ताह सुधीर कुमार जायसवाल पुत्र श्री डॉ. रमाकांत गुप्ता, निवास : ग्रॉम/पोस्ट : परियत, जौनपुर ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री से पत्र लिखकर शिकायत किया है कि उपरोक्त भ्रष्ट लेखपाल को अविलंब बर्खास्त करने की मांग किया है, ज्ञात हो कि दिनांक 24/11/2020 को सुधीर कुमार ने माननीय उप्र के मुख्यमंत्री जी को जनसुवाई पोर्टल के माध्यम से  एक पत्र लिखा था जिसकी शिकायत संख्या : 40019420064960  थी।

उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि महोदय, मैंने कानून के दायरे में रहते हुए एक प्रवेश द्वार अपने  अहाते की पूर्व दिशा में जो पूरी तरह अपनी सीमा में चाहता हूं जो कि पूरी तरह से अविवादित है जिसे 21-04-2016 में परियत के लेखपाल ने अपनी आख्या में कहा था कि मौके पर निर्माणाधीन दीवाल प्रार्थिनी राजकुमारी की भूमि में पड़ता है और विपक्षी सुरेश चंद गुप्ता अपनी भूमि में निर्माण कर चुका है। उस रिपोर्ट के हिसाब से मैं अपने गेट का निर्माण पूरी तरह कानूनी रूप से वैध है जिस पर कोई स्टे आर्डर भी नहीं है।  

आगे सुधीर कुमार जायसवाल ने अपने पत्र में लिखा है कि  भ्रष्ट लेखपाल रामशिरोमणि ने अपने रिपोर्ट में मेरी वैध मांग को अवैध निर्माण कह रहा है जो कि विपक्षी भूमाफिया सुरेश चंद गुप्ता की भाषा बोल रहा है यानी कि  यह रिश्वतखोर, भ्रष्ट लेखपाल विपक्षी सुरेश चंद्र गुप्ता से मिलकर मोटी रिश्वत ले चुका है। यानी लेखपाल सुधीर कुमार जो  वैध निर्माण कार्य को अवैध निर्माण की बात कह रहा है जो गले से नीचे नहीं उतर रही है यानी कि वह अपने ही पूर्व अधिकारी के काम पर उंगली उठा रहा है।

आगे सुधीर जायसवाल के अनुसार अविवादित भूमि मे प्रवेश द्वार की बात कही है जबकि भ्रष्ट लेखपाल रामशिरोमणि हमें न्यायालय में वाद दायर करने को कह रहा है, जबकि विवादित रास्ते पर वे  कोई निर्माण कार्य कर ही नहीं कह रहे हैं।

सुधीर जायसवाल ने अपनी बातचीत में कहा कि एक अधिकारी का काम अपने काम को सही ढंग से करना है, निष्पक्ष होकर अपनी रिपोर्ट लगाना है न कि यह कहना कि जनता न्यायालय में वाद जाके दायर करे। जनता सब काम न्यायालय से करेगी तो अधिकारी किस काम के लिए सरकार हर महीने पैसा देती है। 

आगे सुधीर कुमार ने अपने पत्र में यह मांग की है कि महोदय, मैं आपसे अविलंब यह मांग करता हूं कि इस भ्रष्ट लेखपाल को अविलंब बर्खास्त कर दिया जाए वर्ना ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के कारण अच्छे अधिकारी भी संकट में पड़ जाते हैं। ऐसे रिश्वत लेने वाले अधिकारियों को ऐसी सजा मिले कि आने वाले अधिकारियों के लिए एक अनुपम उदाहरण बन सके।

 

http://www.bharatvarta.in/complaint-to-prime-minister-president-and-chief-minister-for-sacking-of-bribery-corrupt-lekhpal

 

http://news24.net.in/2021/01/13/10994/

 

Friday, August 9, 2019

Friday, January 11, 2019

दिल्ली पुलिस के भ्रष्ट रवैये और मिली-भगत से चोरों के हौसले सातवें आसमान पर

                                                        बिंदापुर पुलिस की शिकायत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से
                                                                                       भाग : 1         

                                                



     उत्तम नगर ।  बिंदापुर पुलिस की शिकायत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से की गई है, यह शिकायत उत्तम नगर निवासी शिल्पी जायसवाल नें  9/01/2019 को किया । सनद रहे कि उपरोक्त शिकायत उत्तम नगर में दिन-प्रतिदिन चोरी की घटनाओं में हो रहे बढ़ोत्तरी के कारण की गई है। ज्ञात हो गत दिनांक 5/1/2019  को एक चोरी की वारदात उत्तम नगर के वाणी विहार इलाके में हुआ है, यह चोरी पानी के मीटरों व मोटरों की  हुई, जिसे वाणी विहार आर-176 बिल्डिंग के पार्किंग में आधी रात के बाद चोरों नें अंजाम दिया।   मालूम हो कि दिनांक 5/1/2019 के आधी रात के बाद कोई चोर पार्किंग में घुसकर वहां की निवासी शिल्पी जायसवाल का पानी के मीटर व पानी के मोटर को चुरा लिया, उपरोक्त घटना उन्हें सुबह शोर मचने पर पता चला,और उन्होंने देखा कि उनके घर की कुंडी भी चोर नें बाहर से बंद कर दिया था जिसे पड़ोस की एक महिला नें खोला। उपरोक्त घटना सिर्फ शिल्पी के ही साथ नहीं हुई बल्कि उस बिल्डिंग में रह रहे चार अन्य लोगों के साथ भी यही हुआ यानी सब के पानी के मोटर व मीटर चोर काटकर अपने साथ ले गए। एक अनुमान के मुताबिक चोरों नें करीब वहां के रहने वाले लोगों को पचास हजार का चुना लगाया।

      उपरोक्त चोरी की घटना को  शिल्पी जायसवाल नें 6/01/2019 को  सुबह 9: 51 व 11: 02 के आस-पास 100 नंबर फोन करके पुलिस कंट्रोल रूम को सूचित भी किया मगर पुलिस नें इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखलाई न ही इसकी जांच करने आई, बिंदापुर पुलिस भी इस मामले में रत्ती भर दिलचस्पी नहीं दिखलाई। वहां के आस-पास के लोगों का कहना था कि बिंदापुर पुलिस वहीं अपनी रूचि दिखाती है जहां उसे कोई फायदा होता है वर्ना उत्तम नगर के नागरिक मरे या जियें उसके कान पर जूं तक नहीं रेंगता।


     इतना ही नहीं बिंदापुर पुलिस पर वाणी विहार निवासी शिल्पी  नें कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को लिखे गए उपरोक्त शिकायत में लिखा है कि  पुलिस के लापरवाही वाले रवैये के कारण आज चोरों के हौसले सातवें आसमान पर है, अगर पुलिस उपरोक्त इलाके में ठीक से गस्त लगाती तो उत्तम नगर की जनता को इतने बुरे दिन न देखने होते।


     इतना ही नहीं शिल्पी जायवाल के  पति नें 8/01/2019 को थाना बिंदापुर में चोरी की शिकायत दर्ज करवाना चाहा तो वहां की  पुलिस नें शिकायत दर्ज करने से पूरी तरह मना कर दिया तो शिल्पी के पति नें  12:11 पर 100 नंबर पर फोन करके बिंदापुर पुलिस की शिकायत भी दर्ज करवाई।
    राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को लिखे गये पत्र में वाणी विहार की महिला नें यह भी मांग की है कि उपरोक्त चोरी के घटना की बिंदापुर पुलिस उच्च स्तरीय जांच करे व पुलिस उन चोरों को गिरफ्तार करे जो एक गैंग बनाकर  उत्तम नगर के निवासियों के पानी के मीटर व पानी के मोटर को काटकर उठा ले जा रहे हैं, इतना ही नहीं उनके पानी के मीटर व मोटर को चोरों से  वापस दिलवाया जाए।
जो पत्र प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को लिखा गया वो इस प्रकार है:

प्रतिष्ठा में :
राष्ट्रपति/प्रधानमंत्री
नई दिल्ली,
भारत   ।
विषय : बिजली का मीटर व पानी का मोटर चोर द्वारा चुराया जाना ।
महोदय,
  1. मेरा नाम शिल्पी जायसवाल है, मैं कानून व्यवस्था में आस्था रखते हुए अपने निवास आर-176, वाणी विहार, उत्तम नगर, नई दिल्ली, 110059 में शांति पूर्वक रहती हूं व मेरे पति कई वर्षों से दिल्ली में पत्रकारिता करते हैं।
  2. श्रीमान् जी दिनांक 5/1/2019 के आधी रात के बाद कोई चोर पार्किंग में घुसकर मेरे पानी के मीटर व पानी के मोटर को चुरा लिया, उपरोक्त घटना मुझेसुबह शोर मचने पर पता चला,और देखा कि मेरे घर की कुंडी भी चोर नें बाहर से बंद कर दिया था जिसे पड़ोस की एक महिला नें खोला।
  3. महोदय, मैंने 6/01/2019 को सुबह 9: 51 व 11: 02 पर 100 नंबर फोन करके पुलिस कंट्रोल रूम को सूचित भी किया मगर पुलिस नें इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखलाई न ही इसकी जांच करने आई।
  4. उत्तम नगर में पुलिस के लापरवाही वाले रवैये के कारण आज चोरों के हौसले बुलंद है, अगर आज पुलिस उपरोक्त इलाके में ठीक से गस्त लगाती तो उत्तम नगर की जनता को ये बुरे दिन न देखने होते।
  5. प्रार्थिनी के पति 8/01/2019 को थाना बिंदापुर में शिकायत प्रति वहां थाने में देने लगे तो वहां की पुलिस नें लेने से मना कर दिया जिसकी शिकायत मेरे पति नें12:11 पर 100 नंबर पर फोन करके किया।
  6. महोदय मेरी मांग है कि उपरोक्त मामले की उच्च स्तरीय जांच कर पुलिस उन चोरों को गिरफ्तार करे और मेरे पानी के मीटर व पानी के मोटर को वापस दिलवाए।
                                                
               दिनांक : 9/01/2019                                                          शिल्पी जायसवाल
                                                                                       आर-176, वाणी विहार,
                                                                                       उत्तम नगर, नई दिल्ली,
                                                                                      110059
Request/Grievance Registration Number is : PRSEC/E/2019/00547           
Registration Number is : PMOPG/E/2019/0014369                                    

ध्यान दें: सभी चित्र डेमाे व गूगल से साभार लिये गये हैं।

Friday, March 10, 2017

जन समस्या शक्ति केंन्द्र (Jan Samasya Shakti Kendra) एनजीओ नें किया अपना ब्लॉग लांच

जन समस्या शक्ति केंन्द्र (Jan Samasya Shakti Kendra)  एनजीओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजकुमार चौबे नें एक मुलाकात के दौरान बताया कि वे एक अपना ब्लॉग लांच कर दिये हैं जिसका नाम http://jansamasyashaktikendra.blogspot.in/ है और वे इसके माध्यम से पूरे देश के युवाओं को जागरूक करेंगे व साथ में जन-जन की समस्याओं को पूरी तरह से दूर करने का प्रयास करेंगे, उन्होंने अपने एनजीओ के प्रमुख कार्य को इस प्रकार बताया: 

१.    सामान्य जनता और सरकार व अन्य सरकारी संस्थानों के बीच में एक अंतरफलक / कड़ी के रूप में कार्य करना ताकि सामान्य जनता की सामाजिक-आर्थिक विकास की चुनौतियों, समस्याओं और मुद्दों को सरकार और सरकारी तंत्र तक पंहुचाया जा सके और उसका प्राथमिकता पूर्वक समाधान हो सके |
२.    कौशल  संबर्धन :
युवावों के कौशल  संबर्धन के लिये प्रशिक्षण देना,  कौशल- अंतर अध्ययन करना, कौशल संबर्धन शिविर आयोजित करके कौशल के बिभिन्न आयामों की जानकारी देना, आर्थिक मदद करना, केंद्रीय एवं राज्य सरकारों और अन्य सरकारी संस्थानों जैसे कि कौशल  संबर्धन एवं उद्यमिता मंत्रालय, सेक्टर कौशल परिषदों, राष्ट्रीय कौशल  संबर्धन कार्पोरेशन , के साथ मिलकर देश में कौशल  का एक वातावरण  तैयार करना जिससे कि भारतीय युवा रोजगारपरक बन सके और जीवन यापन कर सकें |          
३.    अ). समाज में अपराधों की रोकथाम एवं अपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार  के लिए सरकारी  तंत्र के साथ मिलकर काम करना |
ब). अपराध प्रभावित व्यक्तियों एवं समुदायों के संरक्षण और संपोषण के लिए कार्य करना |
स). समाज में जन - सामान्य के सशक्तिकरण के लिए कार्य करना जिससे कि वे अन्याय एवं अपराधिक तत्वों के विरुद्ध खड़े हो सकें |    
४.    अ). सरकारी तंत्र एवं कॉर्पोरेट क्षेत्र  में भ्रष्टाचार को उजागर करना एवं उसे दूर करने के लिए प्रयास करना |
ब). सामान्य लोगों को भ्रष्टाचार विरोधी उपागमो जैसे की सूचना का अधिकार  के बारे में जानकारी एवं प्रशिक्षण देना |
स). सरकारी तंत्र व संस्थाओ की कार्य प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए कार्य करना |
द). सरकारी तंत्र में विभिन्न पदों पर कार्यरत व्यक्तियों की जवाबदेही बढाने के लिए कार्य करना |  
५.    अ). विकलांग लोगों के कल्याण  के लिए सरकार के साथ संयुक्त प्रयास करना |
ब). विकलांग लोगों के कल्याण  के लिए उपयुक्त अवसर  एवं साधन विकसित करना |
स). शारीरिक एवं मानसिक विकलांगता के शिकार लोगों के कौशल  संबर्धन एवं क्षमता निर्माण के लिए कार्य करना |
द). केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा  विकलांग लोगों के निहितार्थ जारी की गयी विभिन्न योजनाओ के बारे में जन सामान्य को जागरूक करने का प्रयास करना|
य). विकलांग अनुकूल नीतियों के क्रियान्वयन में सरकार की सहायता करना |
र). विकलांग सैनिको के कल्याण के लिए काम करना |
६.     अ ). सामान्य जनहितार्थ की सरकारी योजनाओ के क्रियान्वयन के स्तर को मापना |
 ब ). इन योजनाओ के क्रियान्वयन में किसी रूकावट य कमी को सरकार की निगाह में लाना |   
७.    जन स्वास्थ्य :
अ ). सभी क्षेत्रों में, विशेषकर ग्रामीण छेत्रों में, सामान्य सुलभ स्वास्थ्य सुबिधाओ को उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयास करना |
ब ). शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में धर्मार्थ अस्पतालों  का सञ्चालन करना |
स ). लोगों को स्वस्थ जीवनशैली के बारे में प्रेरित करना |
द ). लोगों को वीमारियों से बचाने के लिए, विभिन्न रोगों और उनके बारे में जानकारी देना |
य ). प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों जैसें कि योग, आयुर्वेद, सिद्धा को बढ़ावा देना  |
      पक्षपोषण :
अ ). शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने में, और उनके अधिकारों के लिए लड़ने के लिए  सामान्य लोगों की मदद करना |
ब ). लोगों के अधिकारों एवं कर्तव्यों की जानकारी के लिए जन जागरूकता  पैदा  करना, सामान्य लोगों की समस्याओं को जिला, राज्य एवं केंद्रीय स्तर पर उठाना तथा  मीडिया, अकादमिक विशेषज्ञों , उद्योगपति,  ब्यूरोक्रेसी के साथ संपर्क करके समस्या समाधान करने का प्रयास करना |
स). न्यास के उद्देश्यों से सम्बंधित विषयों पर जनहित याचिकाए दायर करना |     
८.    शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्ध पीने योग्य दोष मुक्त पानी उपलब्ध कराने के लिए ठोस प्रयास करना ताकि लोग भारत के संविधान में प्रदत्त जीवन के लिए उनके मौलिक अधिकार का सही प्रयोग कर सकें |
९.      समुदाय सशक्तिकरण :
अ . जन सशक्तिकरण करना और लोगों को अस्पृश्यता , मदिरापान , नशाखोरी, नशीले पदार्थो की तस्करी , जातिगत भेदभाव ,एवं अन्धविश्वास जैसी सामाजिक बुराइयों  से  लड़ने में मदद करना |
ब . गरीबी  मिटाने के लिए संघर्षरत लोगों की मदद करना |
स . मानवीय विकास को बढ़ावा देना |
द . संसाधन प्रबंधन  द्वारा क्षमता निर्माण करना |
य. लोगों का सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं अध्यात्मिक उत्थान करने में मदद करना  जिससे कि  वो एक सुरछित , गरिमापूर्ण एवं समृधि का जीवन जी सके |
१०.      महिला सशक्तिकरण :
अ.   मुख्यतः  कन्या  शिक्षा और प्रोढ़  शिक्षा द्वारा |
आ. महिलाओ के संबैधानिक और मानवीय अधिकारों के बारे में जागृति उत्पन्न करना | घरेलू  हिंसा, दहेज़ कुप्रथा, यौन शोषण और महिलाओ को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने वाली अन्य समाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ना |
इ.     ग्रामीण छेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूह बनाने में मदद करके घरेलू उद्योग एवं लघु उद्योगों को बढ़ावा देना |
ई.     मातृत्व मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए महिलाओ को  पोषण सम्बन्धी एवं प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद जरूरी सावधानियों के बारे में जानकारी देना |
उ.    समुदाय आधारित दृष्टिकोण द्वारा  क्षमता निर्माण करना |
ऊ.   सामाजिक एवं राजनितिक क्षेत्रों में  नारी नेतृत्व को बढ़ावा देना |
  शिक्षा क्षेत्र :
अ.   मैनेजमेंट, मेडिकल , कानून , मानविकी , विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी  और अन्य कौशल विकास के क्षेत्र में उच्च शिक्षण संस्थानों का गठन, प्रबंधन एवं सञ्चालन करना |
आ. ऐसे प्राथमिक, माध्यमिक एवं उचतर माध्यमिक शिक्षण संस्थानों का गठन, एवं सञ्चालन करना जिससे नई पीढ़ी को  हमारी गौरवशाली परंपराओं एवं सभ्यता के अनुसार ढाला जा सके |
११.     .सांस्कृतिक संबर्धन :
अ.   समाज के विभिन्न वर्गों में सामाजिक समरसता , बंधुता , सामाजिक न्याय एवं भाईचारा बढाने के लिए विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों को करना एवं करने में मदद करना |
आ. पश्चिमीकरण एवं वैश्वीकरण के प्रभाव से समाप्त होती देशज संस्कृतियों के वचाव और उत्थान के लिए काम करना |
इ.      हमारे राष्ट्रीय आदर्शो और उनके विचार और द्दर्शन  के प्रचार प्रसार के लिए लेक्चर, सेमिनार, कार्यशाला, कांफ्रेंस , प्रदर्शन आदि का आयोजन करना |
ई.     समसामयिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर संलाप के स्तर को ऊँचा उठाना|
उ.    ट्रस्ट के उद्देश्य से सम्बंधित विषयों पर टीबी सीरियल , वृत्तचित्र,और फिल्म निर्माण करना और करने में सहयोग देना |
१२.      पर्यावरण संरक्षण  :
अ.   पर्यावरणीय प्रदूषण और पारिस्थितिक असंतुलन के बढ़ते कुप्रभाव के बारे में समाज में जागरूकता फैलाना |
आ. भारतीय सभ्यता के मूल्यों में निहित धारणीय विकास की अवधारणा को उजागर करना व बढ़ावा देना जिससे कि लोग पर्यावरण संरक्षण के भारतीय तरीकों को अपनाये |
इ.      पर्यावरण शिक्षा , पर्यावरण नीति निर्धारण एवं कानून निर्माण में एक थिंक टैंक के रूप कार्य करना |
ई.     नदियों , झीलों और तालाबों को मानव जनित  प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए कार्य करना |
उ.    वनीकरण और जंगलों एवं पारिस्थितिकी हॉट स्पॉट के संरक्षण के लिए काम करना |
१३.     आपदा राहत:
अ.   प्राकृतिक अपदाओ जैसे कि भुखमरी , भूकंप , बाढ़ , आग , महामारी तथा अन्य समस्याओ से प्रभावित लोगों को भोजन, प्राथमिक चिकित्सा, आवास उपलब्ध कराना और इस कार्य में लगी हुई अन्य संस्थाओ को सहायता प्रदान करना |
आ. गंगा और अन्य सहायक नदियों  की बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की आपदा प्रबंधन  में मद्दद करना |
१४.      स्कूल , कॉलेज एवं विश्वविद्यालय स्तर पर छात्रवृत्ति का गठन करना |
१५.     अवार्ड :
ट्रस्ट के उद्देश्यों से सम्बंधित कार्य क्षेत्रों में अवार्ड का गठन करना |
१६.     गौ संरक्षण :
अ.   अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करना जो कि गौ प्रजाति  संरक्षण  के लिए काम करें |
आ. गौशालाओ का स्थापन  और रख्राकाव करना |
इ.     गौ वध के विरोध में जन जागरूकता फैलाना  और लोक मत का निर्माण करना|
१७.     भारतीय विदेश नीति के अनुसार भारतीय राजनयिक रिश्तो को मजबूत करने के लिए कांफ्रेंस, सम्मेलनों, सेमिनार आदि का आयोजन करना |
१८.     न्यास के उद्द्देश्यों से  प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप सम्बंधित ऐसे चैरिटेबल फंड स्थापना,  प्रबंधन और सञ्चालन करना या न्यास से सम्बंधित उदेश्यों पर आधारित किसी फण्ड में योगदान देना |
१९.      ट्रस्ट की गतिविधियों को भारत और विदेशों में सुचारू रूप से चलाने के लिए तथा स्वयं के न्यासी के माध्यम से ट्रस्ट के रूप में कार्य करने के लिए संपत्ति प्राप्त करना , धारण करना , प्रबंधन करना और कोष निर्माण करना |
२०.     ऐसे सभी अनुषांगिक कार्य करना  जो कि न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक हो |
IV. संस्थापक न्यासी :-
उपरोक्त वर्णित सभी न्यासी, न्यास के संस्थापक न्यासी होंगे और जीवन पर्यंत पद धारक होंगे |
वशर्ते कि निम्नलिखित दशाओ में एक व्यक्ति ट्रस्ट का न्यासी नहीं रह सकता :
(i)       यदि उसकी मृत्यु हो जाती है ; य
(ii)      यदि वह अमुक्त दिवालिया हो गया हो ; य
(iii)      यदि वह अपनी स्वेक्छा अनुसार  न्यास धारिता से  ट्रस्ट अध्यक्ष को  लिखित त्यागपत्र देता है |
(iv)      यदि उसे न्यास विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के कारण य नैतिक पतन के किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने पर, न्यास धारिता से हटाया जाता है|
स्पस्टीकरण १ : ट्रस्ट विरोधी गतिविधियों का मतलब ऐसी गतिविधियों से है जो ट्रस्ट के उद्देश्य के मुताविक ट्रस्ट के कार्यप्रणाली में बाधा डालें |
स्पस्टीकरण २ : हटाने की प्रक्रिया:
न्यासियों का बोर्ड, उस समय के न्यासियो के सामान्य बहुमत से, किसी भी न्यासी को, स्थायी य अस्थायी, न्यास्धारिता से बाहर निकाल सकता हैं यदि वह न्यास की संपत्ति य न्यास के कार्यकलाप से सम्बंधित गंभीर दुराचार में लिप्त पाया जाता है य नैतिक पतन के किसी अपराध का दोषी पाया जाता है | वशर्ते न्यासियों का बोर्ड, स्पस्ट निष्कर्ष के बाद लिखित कारणों से  ऐसे किसी न्यासी को न्यास में बनाये रख सकता है जब उस न्यासी का न्यास के उद्देश्यों के लिए न्यास में होना अति आवश्यक हो | वशर्ते कि उस न्यासी की, उसके ऊपर लगे हुए आरोपों पर विना उसका पूरा पक्ष सुने हुए , दोषिता का कोई भी निष्कर्ष नहीं निकाला जायेगा | इस सम्बन्ध में न्यासियों के बोर्ड  का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होगा |
वशर्ते कि इस तरीके से उत्पन्न कोई भी पदों की रिक्तता, शेष बचे हुए न्यासियों के बहुमत से नए न्यासी /न्यासियों  के नियुक्ति से भरी जाएगी |
V. न्यासियों का बोर्ड/मंडल :
न्यास का प्रशाशन न्यासियों के बोर्ड द्वारा, जिसमे कम से कम ३ और अधिकाधिक ११ सदस्य होंगे, द्वारा किया जायेगा |  
VI. सहयोजन :
न्यासियों का बोर्ड अधिकतम १०० अतिरिक्त सदस्यों  को न्यासियों के रूप में सहयोजन कर सकता है जिनके कार्यकाल की अवधि एक साल की होगी और जिसे न्यासियों का बोर्ड के बहुमत से और बढाया जा सकता है |
बशर्ते कि इन अतिरिक्त सदस्यों को “अतिरिक्त न्यासी ” कहा जायेगा और इनको न्यास के मामलों के प्रबंधन में मतदान देने का अधिकार नहीं होगा |
बशर्ते कि एक  “अतिरिक्त न्यासी ” पूर्ण न्यासी होने के लिए उत्तीर्ण हो सकता है जब वर्तमान न्यासी , लगातार दो वर्ष तक उस अतिरिक्त न्यासी का न्यास के लिए योगदान/ रचनात्मक जुडाव देखकर , उसे न्यास में शामिल करने के लिए सहमत हो जाये |
वशर्ते कि :
ऐसा कोई भी व्यक्ति जो
(i)           एक अमुक्त दिवालिया हो; य
(ii)          नैतिक पतन पर आधारित आरोप के लिए  औपचारिक रूप से दोषरोपित हो चूका हो |
(iii)        पागल हो ;
(iv)        नाबालिग हो ;
  अतिरिक्त न्यासी बनने के योग्य नहीं होगा |
VII. बोर्ड का गठन :
(i)         न्यासी अपने मध्य से अध्यक्ष , उपाध्यक्ष , सचिव व कोशाध्यक्ष का चुनाव करेंगे जो की न्यासियों का बोर्ड कहलायेगा, जिनके कार्यकाल की अवधि दो वर्षो य जब तक नए पदाधिकारी नियुक्त नहीं होते, की होगी |
(ii)       पदाधिकारियों के चुनाव के लिए , बैठक का आवाहन न्यासियों द्वारा नियुक्त चुनाव समिति य वरिष्ठतम न्यासी के द्वारा उस समय जो भी सुबिधाजनक हो के द्वारा किया जायेगा |
(iii)     चुनाव की इस बैठक का कोरम/गणपूर्ति शत प्रतिशत होगी |
(iv)    पदाधिकारियों का चुनाव नई अवधि के लिया किया जा सकता है |
(v)     कोई भी न्यासी एक समय में दो पदों पर साथ साथ नहीं रह सकता है |
(vi)    जिन पदों पर रिक्तता होती है उनको चुनाव के द्वारा भरा जाएगा |  
VIII. न्यासियों के बोर्ड की बैठक :
न्यासियों के बोर्ड की बैठक प्रत्येक तिमाही में कम से कम एक बार होगी और जरूरत पड़ने पर एक से जायदा बार भी हो सकती है |
(i)           न्यासियों के बोर्ड की बैठक ट्रस्ट के अध्यक्ष की सहमती से , ट्रस्ट के सचिव द्वारा बुलायी जाएगी |
(ii)          बैठक की अध्यक्षता, अध्यक्ष द्वारा की जाएगी |अपनी अनुपस्थिति में अध्यक्ष , उपाध्यक्ष को बैठक की अध्यक्षता करने के लिए मनोनीत कार सकता है | यदि किसी समय अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों बैठक में अनुपस्थित हैं तो बैठक में मौजूद सभी न्यासी अपने में से किसी एक को उस बैठक की अध्यक्षता करने के लिए चुन सकते हैं |
(iii)        न्यासियों के बोर्ड की बैठक के लिए कोरम की संख्या कम से कम तीन य  न्यासियों के बोर्ड की संख्या का आधा, होगी | यदि जरूरी कोरम की पूर्ति नहीं है तो बैठक को बैठक को अध्यक्ष और सचिव के सहमती से उस समय , तारीख और जगह के लिए टाल दिया जायेगा जब  यह बैठक पूर्ण की जा सके और बैठक के मुद्दे पर विचार किया जा सके | इस तरह से  हुई  बैठक में कोई भी नया मुदा नहीं लिया जायेगा |
(iv)        बैठक में सभी निर्णय बहुमान से लिए जायेगें और बराबरी की दशा में बैठक का अध्यक्ष अपने निर्णायक मत का प्रयोग  करेगा |
(v)         परिसंचरण द्वारा न्यासियों की सर्व सम्मति से पारित किसी प्रस्ताव उसी तरीके से प्रभावी होगा जैसे की वह न्यासियों के बोर्ड की बैठक में पास किया गया हो | यदि कोई न्यासी, प्रस्ताव के खिलाफ,  प्रस्ताव में दिए गए समय के अन्दर अपना प्रतिरोध  व्यक्त नहीं कर्ता तो यह उसकी सहमती मानी जाएगी|
(vi)        बोर्ड की बैठक के लिए कम से कम एक सप्ताह की अग्रिम नोटिस, जिसमे बैठक का दिन, समय, जगह और बैठक का अजेंडा तय होगा, दी जाएगी जब तक न्यासियों द्वारा कम समय की नोटिस के लिए सहमती हो जाती है |
(vii)      न्यासियों का बोर्ड, बैठक में ऐसे लोगों को भी आमंत्रित कर सकता है जो न्यास के क्रियाकलापों और उद्देश्यों से सरोकार रखते हैं यद्यपि उन्हें मत डालने का अधिकार नहीं होगा |
(viii)     बैठक की कार्यवाही :
बैठक के अध्यक्ष की अनुमति के बिना , न्यासियों के बोर्ड की बैठक में ऐसे किसी बात पर चर्चा नहीं होगी जो अजेंडा में नहीं है |
(ix)        ऐसा न्यासी जो बैठक में उपस्थित नहीं हो सकता, वह अपना मत लिखित में भेज सकता है और उस विषय पर उसे उस न्यासी का वोट माना जायेगा|
(x)         न्यासियों के बोर्ड की बैठक की कार्यवाही के कार्यवृत्त एक अलग  नोटबुक में लिखी जाएगी  जो की बैठक के अध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षरित होगी | और यह नोटबुक बैठक में की गयी कार्यवाही का मान्य साक्ष्य होगा |
IX . न्यास के पद धारियो की शक्तियां
१.    अध्यक्ष :
(i)           न्यास का अध्यक्ष न्यास की सभी जनरल बॉडी मीटिंग्स की अध्यक्षता करेगा |
(ii)          अध्यक्ष न्यास के अन्य पद धारियों को न्यास द्वारा लिए गए निर्णयों को क्रियान्वित करने के लिए आदेशित कर सकता है |
(iii)        असामान्य परिस्थितियों में,न्यास का अध्यक्ष न्यास के उद्देश्य और हित में  स्वयं कदम उठा सकता है |
(iv)        अध्यक्ष के अग्रिम सहमती के बिना, कोशाध्यक्ष किसी धनराशी को आहरित नहीं कार सकता |
(v)         अध्यक्ष , न्यास की बैठकों के लिए एजेंडा तय कार सकता है |
२.    उपाध्यक्ष :
३.    न्यास के अध्यक्ष की अनुपस्थिति में , अध्यक्ष के कार्यों का निर्वहन उपाध्यक्ष करेगा  और अध्यख द्वारा प्रदत्त सभी शक्ति और अधिकार  का प्रयोग करेगा |
४.    सचिव:
(i)           न्यास का सचिव न्यास द्वारा लिए गए सभी निर्णयों को क्रियान्वित करने और उनका रिकॉर्ड रखने के लिए जिम्मेदार होगा |
(ii)          न्यास के सदस्यों , सरकार य अन्य किसी संस्था से न्यास के की ओर से  पत्र - व्यवहार रखने की जिम्मेदारी सचिव पर होगी |
(iii)        अध्यक्ष की सहमती से, सचिव न्यास की बैठकें आमंत्रित करेगा |
(iv)        न्यास की वार्षिक रिपोर्ट को तैयार करने और जमा करने की जिम्मेदारी सचिव की होगी |
(v)         ट्रस्ट की सदस्यता की लिस्ट बनाने और अद्यतन करने की जिम्मेदारी सचिव की होगी |
५.    कोशाध्यक्ष :
(i)       कोशाध्यक्ष न्यास के धन का प्रभारी होगा और केवल कोशाध्यक्ष ही अध्यक्ष के साथ बैंक अकाउंट का सञ्चालन करेगा |
(ii)      न्यास के नियमों और अध्यक्ष के निर्देशों के अनुसार , कोशाध्यक्ष न्यास के लिए धन लेने और देने का अधिकार रखता है |
(iii)     कोशाध्यक्ष लेखा-विवरण बनाएगा और न्यासियों द्वारा बताये गए व्यक्ति से लेखा परीक्षा करवाएगा और वार्षिक रूप,से न्यासियों के बोर्ड के सामने अनुमोदन के लिए रखेगा |
(iv)    कोशाध्यक्ष न्यास के लिए चंदा ग्रहण  कर सकता है और उनकी रशीद जारी कर सकता है |

६.    न्यास का settler अपने जीवन पर्यंत न्यास का मुख्य संरक्षक रहेगा और न्यासियों को न्यास के उद्देश्य के क्रियान्वयन के लिए निर्देशित कर सकता है |
७.    न्यास का मुख्य संरक्षक होने के नाते settler केवल असामान्य परिस्थितियों में न्यास के उद्देश्यों  के परम  हित में, न्यास के क्रिया कलाप में हस्तक्षेप  कर सकता है |
X. न्यास का कोष :
न्यास के कोष में निम्नलिखित शामिल होगा  :
(i)       लोकोपकारको से प्राप्त हुआ धन |
(ii)      न्यास के लिए निधि
(iii)     केंद्र और राज्य सरकारों, निगमो, सांविधिक निकायो और संस्थाओ से प्राप्त सहायता राशि |
(iv)    न्यास की संपत्ति  से आमदनी |
(v)     सामान्य जनता और संस्थाओ से प्राप्त धन
(vi)    न्यास के द्वारा नियंत्रण किसी संस्था से प्राप्त अन्य कोई आमदनी |
(vii)   भारत और विदेश के लोगों, कंपनियों, संस्थाओ और प्रतिष्ठानों से प्राप्त धन और उपहार |
(viii) निवेश उपधारा :
न्यास के कोष का धन इनकम टैक्स एक्ट की धारा १३(१) (d) और ११(५ ) के अनुसार निवेश किया जायेगा |
(ix)    यदि किसी वर्ष में न्यास की धन राशि का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता है तो बची हुई आमदनी इनकम टैक्स अधिनियम के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए अगले वर्ष के लिए स्थानांतरित कार उस वर्ष में न्यास के उद्देश्यों पर खर्चा किया जायेगा |
(x)     न्यास का कोष और आमदनी न्यास के उद्देश्यों की पूर्ती के लिए ही उपयोग में लाया जायेगा और उसका कोई भी भाग न्यासियों को लाभ , ब्याज य dividend के रूप में नहीं दिया जायेगा |
XI. न्यासी को समय समय पर नियम बनाने  की शक्ति होगी |
(i)       न्यास की बैठक और कार्यवाही के लिए
(ii)      न्यास के उद्देश्यों के क्रियान्वयन के लिए
(iii)     न्यास द्वारा संचालित संस्थाओ में उप–समिति, सलाहकारी एवं प्रशासकीय समितियों को नियुक्त करना और उनकी शक्तियों को किसी अन्य ब्यक्ति य संस्था में निहित करना |
(iv)    जरूरी स्टाफ को नियुक्त करना और उनके खिलाफ जरूरी अनुशासनात्मक कार्रवाई करना  जैसे की उनकी सेवा शर्तों को विनियमित करना और उनकी सेवा समाप्त करना |
(v)     न्यास के उद्देश्यों के लिए किसी अन्य मुद्दे पर भी |
XII. न्यासियों के बोर्ड को अधिकार है कि:
न्यास के प्रबंधन और प्रशासन के लिए न्यासियों की अन्य सामान्य शक्तियों  को प्रभावित किये बिना , न्यासियों के बोर्ड के पास निम्नलिखित शक्तियां होगी :
(i)           न्यास के नाम पर चल और अचल संपत्ति खरीदना ,उपहार में प्राप्त करना य लीज पर लेना और उसे बेचना , गिरवी रखना, लीज पर देना बशर्ते कि संपत्ति खरीदने य बेचने  के लिए न्यासियो के बहुमत की सहमती आवश्यक है |
(ii)          किसी अनुसूचित बैंक में खाता खोलना और उसका सञ्चालन कोषाध्यक्ष द्वारा, अध्यक्ष य सचिव की देखरेख में करना |
(iii)        न्यास की संपत्ति पर ऋणपत्र जारी कर के कोष इकट्ठा करना और उसके पुनः भुगतान के लिए प्रावधान करना वशर्ते कि कोई भी न्यासी ब्याक्तिगत रूप से उत्तरदायी नहीं होगा |
(iv)        जरूरत के समय न्यास के हित में और न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु , न्यास की संपत्ति को संरक्षित कर लोन लेना  वशर्ते कि सभी न्यासी इस बात के लिए एकमत से निर्णय लें |
(v)         न्यासियों के बोर्ड द्वारा नामित किन्ही दो न्यासियों को प्राधिकृत करना ताकि वे कोई कॉन्ट्रैक्ट , दस्तावेज़  य अन्य कोई पेपर पर हस्तक्षर कार सके |
(vi)        न्यास के विकास के लिए कोष सृजित करना और दान ग्रहण करना |
(vii)      न्यास के नाम पर किसी भवन का निर्माण करना repair करना |
(viii)     न्यास के प्रशाशन के लिए उपयुक्त स्टाफ को नियुक्त करना , निलंबितऔर बर्खास्त  करना, और उनके बेतन और अन्य लाभ के लिए नियम बनाना |
(ix)         किसी विवाद का समाधान सहमती , समझौता द्वारा करना और उसे मध्यस्थता के लिए भेजना |
(x)         न्यासियों का बोर्ड न्यास के नाम पर वादी और प्रतिवादी बन सकता है |
(xi)        कोई भी न्यासी , न्यास की संपत्ति और कोष से सम्बंधित विश्वास भंग  य धोखाधड़ी नहीं करेगा |
(xii)      न्यासियों को यह शक्ति प्रदान है की वे कोई भी परोपकार कार्य किसी भी समय शुरू कार सकते हैं और बंद भी कर सकते है य न्यास की संपत्ति य धन का कोई भाग इस कार्य के लिए अलग कार सकते हैं |
XIII. लेखा :
न्यासी  सभी प्राप्ति और भुगतान का और न्यास की संपत्ति का सही लेखा जोखा रखेगे| न्यास के लेखा ब्यौरा का वार्षिक परिक्षण न्यासियो के बोर्ड द्वारा नियुक्त एक उपयुक्त लेखापाल से करवाया जायेगा | प्रत्येक उत्तरवर्ती वर्ष के लिए लेखांकन वर्ष १ अप्रैल से ३१ मार्च  होगा |
XIV. न्यास के क्रियाकलाप का कार्यक्षेत्र संपूर्ण भारत वर्ष होगा |
XV. न्यास अखण्डनीय होगा |
XVI. विघटन:
न्यास के विघटन य समापन होने की दशा में , न्यास के सभी कोष इकठ्ठा किये जायेंगे और सबसे पहले न्यास की सभी देनदारियों को चुकता करने में प्रयोग में लाया जायेगा | समापन के समय जो भी संपत्ति न्यास के नाम पर रहेगी उसे किसी भी दशा में न्यासियों य उनके रिश्तेदारों में बांटा नहीं जायेगा बल्कि किसी धार्निक न्यास य संस्था को जिसके उद्देश्य न्यास के उद्देश्यों से मेल खाते हों और जो धारा ८० जी के तहत मान्य हो , य प्रधानमंत्री राहत कोष को हस्तांतरित कर दिया जायेगा
XVII. हानिरक्षा:
सभी न्यासी , न्यास द्वारा दी गयी शक्तियों का निर्वहन करते हुए नेक नीयत से किसी भी काम को करते हुए, किसी नुकसान य देनदारी के लिए क्षतिपूरित होंगे   |
XVIII. न्यासियों की सहमति :
सभी पक्ष यह घोषित करते हैं कि उन्होंने न्यासी की तरह काम करने के लिए , जैसा की उपरोक्त वर्णित है , सहमती दे दी है  और अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं|
XIX. संशोधन:
न्यास पत्र , नियमो और अधिनियमों में ऐसा कोई संशोधन नहीं  किया जायेगा हो की इनकम टैक्स एक्ट की धारा २(१५ ), ११, १२, , ८० जी के बिरुध हो | और कोई भी संसोधन बिना इनकम टैक्स कमिश्नर की अनुमति के बिना नहीं किया जायेगा |